देश में नेत्रदान को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है, जिसमें देश के बड़े-बड़े संस्थान मुहिम चलाते हैं. हालांकि, पिछले 3 वर्षों में कोरोना के कारण नेत्रदान पर काफी असर पड़ा था.
By : मदीहा खान | Updated at : 02 Sep 2024 07:35 PM (IST)
नेत्र दान से रोशनी की उम्मीद
Source : मदीहा खान
दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थैल्मिक साइंसेज (आरपी सेंटर) के राष्ट्रीय नेत्र बैंक (एनईबी) ने मंगलवार को कॉर्नियल अंधेपन से लड़ने को लेकर नेत्रदान के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए मुहिम चलाई.
हर साल अगस्त के आखिरी हफ्ते से लेकर 2 सितंबर तक AIIMS के सभी ऑप्थाल्मालॉजिस्ट, नेत्रदान पर जागरूकता अभियान चलाते हैं. इस साल राष्ट्रीय नेत्र बैंक की तरफ से दिए गए आंकड़े के मुताबिक, बीते 1 साल में एम्स को 2000 लोगों ने कॉर्निया डोनेट किया है, जिसकी मदद से 1703 लोगों की आंखों को रोशनी मिली.
23,000 से अधिक का इलाज
पिछले 58 वर्षों में, राष्ट्रीय नेत्र बैंक (एनईबी) ने देश में नेत्र बैंकिंग के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत की है. जिसमें अब तक 32,000 से अधिक कॉर्निया इकट्ठा किए जा चुके हैं. एनईबी ने कॉर्नियल ट्रांसप्लांट के माध्यम से देश भर के 23,000 से अधिक कॉर्नियल अंधे रोगियों इलाज किया गया.
कोविड के दौर में पड़ा प्रभाव
देश में नेत्रदान को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है, जिसमें देश के बड़े-बड़े संस्थान मुहिम चलाते हैं. लेकिन पिछले 3 वर्षों में कोरोना के कारण नेत्रदान पर काफी असर पड़ा था. कोविड-19 महामारी ने राष्ट्रीय नेत्र बैंक सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया. पिछले 5 वर्षों में AIIMS ने हर साल 1000 से अधिक कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी के माध्यम से किए हैं. वर्ष 2023-24 में, 1703 कॉर्नियल पेशेंट्स का ट्रांसप्लांट हुआ. ट्रांसप्लांट की यह दर 85% फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है.
इमरजेंसी मामलों में जीरो वेटिंग पर होता है कॉर्निया ट्रांसप्लांट
एम्स में इमरजेंसी मामलों में आए हुए पेशेंट्स, यानी जिनकी आंखें किसी एक्सीडेंट में डैमेज हो जाती हैं, उन मरीजों का इमरजेंसी की वजह से ज़ीरो वेटिंग लिस्ट में इलाज होता है. इसके साथ ही 'एम्स-दिल्ली-अस्पताल कॉर्निया रिट्रीवल प्रोग्राम' भी चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य दिल्ली के सभी कॉर्नियल ट्रांसप्लांट केंद्रों की मांग को पूरा करने के लिए अधिक ऑप्टिकल गुणवत्ता वाले टिश्यू एकत्र करना है.
राष्ट्रीय नेत्र बैंक दिल्ली और एनसीआर के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ एक नेटवर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि दाता कॉर्निया के संग्रह को ज्यादा किया जा सके और सभी कॉर्नियल सर्जनों को कॉर्नियल टिश्यू तक पहुंच प्रदान की जा सके. आरपी सेंटर में "सिंगल डोनर मल्टीप्ल रेसीपीएन्ट" पर भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे डोनर टिश्यू का उपयोग ज्यादा किया जा सके.
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Published at : 02 Sep 2024 07:35 PM (IST)
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अवनीश पी. एन. शर्मा, ICCRसलाहकार सदस्य