Delhi Pollution Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के महीने की शुरुआत हो चुकी है. इसके साथ ही दिल्ली की आबोहवा भी जहरीली हो गई है.
By: निपुण सहगल | Updated at : 21 Nov 2023 12:24 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ( Image Source : Getty )
Delhi Pollution: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (21 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई के दौरान पंजाब के वकील से पूछा कि खेतों में जलाई जा रही पराली यानी फार्म फायर का क्या हुआ है? इसके जवाब में वकील ने कहा कि सरकार ने कदम उठाए हैं. हमारा सुझाव है कि केंद्र और सभी राज्य मिल कर समयबद्ध काम करें ताकि अगले मौसम में यह स्थिति न बने. इस पर अदालत ने कहा कि अगले मौसम का इंतजार नहीं होगा. हम मामले की निगरानी करेंगे. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अगर कुछ किसान लोगों की परवाह किए बिना पराली जला रहे हैं, तो सरकार सख्ती क्यों नहीं कर रही है. आप उन किसानों से अनाज न खरीदें, जो पराली जलाते हैं. जो कानून तोड़ते हैं, उन्हें लाभ क्यों मिले? शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि हालांकि ये भी है कि जब दूसरे राज्यों का अनाज एमएसपी के लिए पंजाब में बिक सकता है, तो किसी किसान का अनाज दूसरा किसान क्यों नहीं बेच सकता है? इसलिए शायद इससे समाधान नहीं होगा.
क्या किसानों पर लगा जुर्माना वसूला गया? अदालत ने पूछा
अदालत ने पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वकील से पूछा कि आपने दो करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात कही. जुर्माना सिर्फ लगाया ही गया है या फिर वसूला भी है? हमें अगली सुनवाई में वसूली के बारे में बताइए. हम यह भी जानना चाहते हैं कि आपने जो एफआईआर दर्ज की है. वह खेत के मालिक पर है या फिर अज्ञात लोगों पर? पीठ ने कहा कि चूंकि एमएसपी न देने से समाधान नहीं होगा, तो क्या पराली जलाने वालों को धान की खेती से रोका जा सकता है? जब धान लगा ही नहीं पाएंगे तो पराली जलाना भी बंद कर देंगे.
किसानों को मुहैया करवाई जाएं जरूरी मशीनें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में लोग हाथों से फसल काटते हैं, तो पराली की समस्या नहीं होती है. पंजाब में भी कई छोटे किसान फसल अवशेष जलाने की बजाय बेच रहे हैं. बड़े किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उन्हें भी फायदा मिलेगा. राज्य सरकार को जरूरी मशीन उपलब्ध करवाना चाहिए.
पीठ ने कहा कि यूपी और हरियाणा सरकारें किसानों को यह मशीन किराए पर उपलब्ध करवा रही हैं. पंजाब को भी ऐसा करना चाहिए. पंजाब में पराली जलाने के जितने मामले हुए, उनमें से 20% पर ही जुर्माना लगा है. उसकी भी वसूली नहीं हुई है. अगली सुनवाई तक हमें वसूली पर रिपोर्ट दी जाए.
सुनवाई के दौरान और क्या-क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि समस्या यह है कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है, लेकिन हमारे सामने वह नहीं हैं. हम उनसे नहीं पूछ सकते कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं. राज्य सरकार भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रही है. इस पर वकील ने कहा कि किसान थोड़े से लाभ के लिए पर्यावरण की चिंता नहीं कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि पराली जलाने के लिए सिर्फ 1 माचिस लगती है. अगर आप मशीन भी दे देंगे तो किसान को डीजल समेत दूसरे खर्च करने पड़ेंगे. क्या सब कुछ मुफ्त किया जा सकता है.
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार मशीनों के लिए सहायता देती है. लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह मुफ्त करने का काम सिर्फ 1 राज्य के लिए क्यों करेगी. एमिकस क्यूरी- केंद्र 80% सहायता देता है. इसके बाद हरियाणा और यूपी में सफलतापूर्वक मशीनें काम कर रही हैं. पंजाब को भी इससे सीखना चाहिए. अगर सब कुछ (डीजल, मैनपावर) मुफ्त करने की जरूरत है, तो पंजाब सरकार इस पर विचार कर जवाब दे.
वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि निर्माण कार्य मे इमारत को नियमों के तहत ढक कर रखा जाता है. फिर भी सरकार यह दिखाने के लिए वह कुछ कर रही है, निर्माण को रुकवा देती है. इससे भारी नुकसान होता है. अदालत ने कहा कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली कमिटी इस पहलू पर विचार करे. एमिकस- दिल्ली में ऑड-ईवेन तो लागू नहीं हुआ, लेकिन गाड़ियों की पहचान के लिए रंगीन स्टिकर लगाने पर कुछ विशेष नहीं किया. अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार इस पर जवाब दे.
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