हिंदी न्यूज़लाइफस्टाइलधर्मMatamah Shradh 2024: मातामह श्राद्ध क्या होता है, इसका शारदीय नवरात्रि से क्या है संबंध
Matamah Shhardh 2024: पितृ पक्ष में नाना के श्राद्ध को लेकर काफी कुछ कहा गया है. आइए जानते हैं मातामह (नाना) के श्राद्ध का श्राद्ध किन लोगों को करने का अधिकार होता है और नवरात्रि से इसका क्या संबंध है?
By : एबीपी लाइव | Updated at : 02 Oct 2024 05:10 PM (IST)
मातामह श्राद्ध 2024
Source : abplive
MataMah Shhardh 2024: नवरात्रि स्थापना के साथ अधिकांश घरों में मातामह श्राद्ध किया जायेगा. सर्व पितृ और मातामह नाना, मातामही नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा नवरात्रि के दिन करते है . मातामह श्राद्ध 3 अक्टूबर को होगा. संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि परिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध कर्म की तिथि अनुसार करने की परंपरा है.
संतान ना हाेने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है. अक्सर मातामह श्राद्ध पितृ पक्ष की समाप्ति के अगले दिन होता है. इस बार 3 अक्टूबर को होगा. परंपरा है कि लोग अपनी संतान नहीं होने पर दत्तक गोद लेते थे ताकि मृत्यु के बाद वो पिंडदान कर सके. मान्यतानुसार दत्तक पुत्र दो पीढ़ी तक श्राद्ध कर सकता है.
कौन कर सकता है मातामह श्राद्ध (Kaun Kar Sakta Hai Matamah Shhardh)
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र ज़िन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता. इस प्रकार यह माना जाता है कि मातामह का श्राद्ध सुख व शांति व सम्पन्नता की निशानी है. यहाँ यह बात गौर करने लायक़ है कि एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपनी बेटी के घर का पानी भी नहीं पिता और इसे वर्जित माना गया है लेकिन उसके मरने के बाद उसका तर्पण उसका दोहित्र (बेटी) करती है.
मातामह श्राद्ध में दूसरी पीढ़ी करती है तर्पण-पिंडदान
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दिवगंत परिजन के घर में लड़का ना होए तो लड़की की संतान यानी नाती भी पिंडदान कर सकता है. मान्यतानुसार लड़की के घर का खाना नहीं खा सकते इसलिए मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है.
मातृ ऋण से मिलती है मुक्ति
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन माता पक्ष यानी मां, नानी का श्राद्ध करने से मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है और मां अपने कुल को वृद्धि, सुख-सौभाग्य व समृद्धि का आशीर्वाद देकर चली जाती हैं. मातामह श्राद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. जो लोग माता पक्ष का श्राद्ध नहीं करते, उनको मातृ दोष का भागी बनना पड़ता है. मातामह श्राद्ध का दिन परिवार की मातृ पितरों से जुड़ा हुआ है, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए इस दिन पिंडदान, तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं.
महिलाएं श्राद्ध करें या नहीं?
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महिलाएं श्राद्ध करें या नहीं? यह प्रश्न भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है. अमूमन देखा गया है कि परिवार के पुरुष सदस्य या पुत्र-पौत्र नहीं होने पर कई बार कन्या या धर्मपत्नी को भी मृतक के अंतिम संस्कार करते या श्राद्ध वर्षी करते देखा गया है. परिस्थितियां ऐसी ही हों तो यह अंतिम विकल्प है. इस बारे में हिंदू धर्म ग्रंथ, धर्म सिंधु सहित मनुस्मृति और गरुड़ पुराण भी महिलाओं को पिंड दान आदि करने का अधिकार प्रदान करती है.
श्राद्ध में ये तीन अत्यंत पवित्र माने जाते है
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुत्री का पुत्र अर्थात दौहित्र, कुतप समय, अर्थात अपरान्ह समय व तिल. श्राद्ध कर्म में ये तीन पवित्र माने गए है. सामान्यतः श्राद्ध कर्म में कभी क्रोध व जल्दबाजी नहीं करना चाहिए. शांति, प्रसन्नता व श्रद्धा पूर्वक किया कर्म ही पितरों को प्राप्त होता है. धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि व अथर्वेद का मानना है कि श्राद्ध कर्म हमारे वेद शास्त्रों द्वारा अनुमोदित व विज्ञान सम्मत भी है.
कन्यागत सूर्य में जो भोज्य सामग्री पितरों को दी जाती है वे समस्त स्वर्ग प्रदान करने वाली कही गयी है. पितृ पक्ष के ये सोलह दिन यज्ञों के समान है इस काल मे अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर दिया गया भोजनादि पदार्थ अक्षय होता है अतः इस काल मे श्राद्ध ,तर्पण,दान, पुण्य आदि अवश्य करना चाहिए. इससे आयु, पुत्र, यश,कीर्ति,समृद्धि, बल, श्री,सुख,धन,धान्य की प्राप्ति होती है.
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Published at : 02 Oct 2024 05:10 PM (IST)
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