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Sawan 2024: भांग-गांजा का सेवन करने वाले नहीं हो सकते शिवभक्त, क्या शिव को भांग चढ़ाना सही है? जानें

5 महीने पहले 7

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Sawan 2024: सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. भक्त शिवजी की पूजा में उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं, जिसमें भांग (Cannabis) भी शामिल है. जानते हैं शिव को भांग चढ़ाना चाहिए या नहीं?

By : एबीपी लाइव | Updated at : 18 Aug 2024 02:00 PM (IST)

Sawan 2024: भारतीय कालगणना के पंचांग अनुसार श्रावण मास यानी सावन का महीना चल रहा है, जिसकी समाप्ति 19 अगस्त 2024 को होगी.  सावन में बड़े जोश से कांवड़ यात्राएं (Kanwar Yatra) हुईं और प्रतिवर्ष यह जोश बढ़ता ही जाता है. भगवान शिव (Lord Shiva) की अराधना के लिए सावन का विशेष महत्व है इसलिए सावन में श्रद्धालु बड़ी संख्या में शिवालयों में जाते हैं.

सावन में लोग विशेष नियमों का पालन करते हैं. इस माह मास, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन भी नहीं किया जाता है. लेकिन भांग-गांजा (Bhang-Ganja) या मदिरा का सेवन करने वाले नशेड़ी यह कहकर इन चीजों का सेवन नहीं छोड़ते कि, शिवजी को तो पूजा में भांग चढ़ाया जाता है, फिर यह तो भक्तों के लिए शिव का प्रसाद हुआ. लेकिन क्या सच में भगवान शिव को भांग (Cannabis) चढ़ाना सही है? क्या कहीं इसका वर्णन है?

लेकिन ‘इनफार्मेशन वारफेयर’ युग में जो भी परोसा जा रहा है, वह सब सही नहीं है. बल्कि कुछ चीजों का वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है खैर! शिवजी को पूजा में भांग चढ़ाना चाहिए या नहीं इस जिज्ञासा का समाधान श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) और शिवपुराण (Shiv Purana) का पाठ करने से आपको स्वत: मिल जाएगा.

यदा-कदा यह मिथक गढ़ा जाता है कि भगवान शिव भांग चरस पीते हैं. इसलिए उन्हें पूजा में भांग जरूर चढ़ाना चाहिए. इस धारणा के कारण लोग खुद भी भंगेड़ी और नशेड़ी बनकर अपना जीवन बर्बाद करते हैं. वैसे एक बात जानना आवश्यक है कि भगवान को क्या अर्पित करना है और क्या नहीं. ये विषय धर्म शास्त्रों में अच्छे से वर्णित है, बस थोड़ा समय निकालकर पढ़ने की जरूरत है. भगवान शिव को भक्त क्या अर्पित करें, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं. इसके बारे में स्वयं भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं.  

भगवान शिव को क्या चढ़ाया जाए भांग या कुछ और?

महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत को पंचम वेद कहा जाता है. क्योंकि इसमें सम्पूर्ण धर्म शास्त्रों का संग्रह है. महाभारत के अनुशासन पर्व के अंतर्गत दान धर्म पर्व के अध्याय 145 के अंतर्गत दक्षिणात्य भाग में पाशुपात योग का वर्णन तथा शिवलिंग पूजन का महात्म्य बताया गया है. जिसमें माता उमा और महेश्वर का संवाद है. इस दुर्लभ संवाद में माता उमा भगवान शिव से मानव के कल्याण के लिए बहुत से प्रश्न पूछती हैं. ऐसे ही एक प्रश्न के उत्तर में भगवान शिव स्वयं बताते हैं कि उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए और पूजा में क्या अर्पित करना चाहिए जिससे वे प्रसन्न होते हैं. माता उमा के प्रश्न के उत्तर में भगवान कहते हैं:-

“तीनों लोकों में मैंने अपने स्वरूपभूत शिवलिंगों की स्थापना की है, जिनको नमस्कार मात्र करके मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं. होम, दान, अध्ययन और बहुत-सी दक्षिणा वाले यज्ञ भी शिवलिंग को प्रणाम करने से मिले हुए पुण्य की सोलहवीं कला के बराबर भी नहीं हो सकते. प्रिये! शिवलिंग की पूजा से मैं बहुत संतुष्ट होता हूं. तुम शिवलिंग पूजन का विधान मुझसे सुनो.

  • जो गोदुग्ध और माखन से मेरे शिवलिंग की पूजा करता है, उसे वही फल प्राप्त होता है जोकि अश्वमेध यज्ञ करने से मिलता है.
  • जो प्रतिदिन घृतमण्ड से मेरे गल के शिवलिंग का पूजन करता है, वह मनुष्य प्रतिदिन अग्निहोत्र अपने करने वाले ब्राह्मण के समान पुण्यफल का भागी होता है.
  • जो केवल जल से भी मेरे शिवलिंग को नहलाता है, वह भी पुण्य का भागी होता और अभीष्ट फल पा लेता है. जो शिवलिंग के निकट घृत मिश्रित गुग्गुल का उत्तम धूप निवेदन करता है, उसे गोसव नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है.
  • जो केवल गुग्गुल के पिंड से धूप देता है, उसे सुवर्ण दान का फल मिलता है. जो नाना प्रकार के फूलों से मेरे लिंग को पूजा करता है, उसे सहस्र धेनुदान का फल प्राप्त होता है.
  • जो देशान्तर में जाकर शिवलिंग को पूजा करता है, उससे बढ़‌कर समस्त मनुष्यों में मेरा प्रिय करने वाला दूसरा कोई नहीं है.

इस प्रकार भाँति-भाँति के द्रव्यों द्वारा जो शिवलिंग की पूजा करता है, वह मनुष्यों में मेरे समान है. वह फिर इस संसार में जन्म नहीं लेता है. अतः भक्त पुरुष अर्चनाओं, नमस्कारों, उपहारों और स्तोत्रों द्वारा प्रतिदिन आलस्य छोड़कर शिवलिंग के रूप में मेरी पूजा करें. पलाश और बेल के पत्ते, राज वृक्ष के फूलों की मालाएं तथा आक के पवित्र फूल मुझे विशेष प्रिय हैं. देवी!  मुझमें मन लगाए रहने वाले मेरे भक्तों का दिया हुआ फल, फूल, साग अथवा जल भी मुझे विशेष प्रिय लगता है. मेरे संतुष्ट हो जाने पर लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है, इसलिए भक्त जन सदा मेरी ही पूजा किया करते हैं. मेरे भक्त कभी नष्ट नहीं होते. उनके सारे पाप दूर हो जाते हैं तथा मेरे भक्त तीनों लोकों में विशेष रूप से पूजनीय हैं”.

इस प्रकार उमा-महेश्वर संवाद में स्पष्ट है कि भांग का वर्णन भगवान शिव नहीं करते हैं. इस बात की पुष्टि शिव पुराण से भी होती है और श्रीमद भगवत गीता से भी. श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं:-

पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः।।9.26।।

अर्थात्: यदि कोई प्रेम तथा भक्ति के साथ मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल प्रदान करता है तो मैं उन्हें स्वीकार करता हूं.

भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण एक ही बात बोल रहे हैं जिसका सार है भक्ति भाव और प्रेम से साथ पत्र, पुष्प, फल और जल अपर्णा करना. भगवान शिव ने तो नाम भी बताए हैं जिनमें भांग का वर्णन नहीं है. अब निर्णय आपका की क्या अर्पित करना है!

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें

Published at : 18 Aug 2024 02:00 PM (IST)

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नित्यानंद गायेन, पत्रकार

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