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- Schizophrenia : अलग ही दुनिया में रहते हैं इस बीमारी के मरीज, लोगों से दूर अकेलेपन की जीते हैं जिंदगी
By : एबीपी लाइव | Updated: 05 Dec 2023 02:06 PM (IST)
एक ऐसी मानसिक बीमारी जो इंसान को अकेला कर देती है. इससे पीड़ित इंसान हर किसी से कटा-कटा रहता है और अकेले में बड़बड़ाता रहता है. उसे लगता है कि बाकी लोग उसके खिलाफ हैं.
सिजोफ्रेनिया...एक ऐसा डिसऑर्डर जिससे पीड़ित इंसान सबके साथ रहते हुए भी अलग ही दुनिया में रहता है. वह सभी से कटा-कटा रहता है, अकेले बैठकर खुद से ही बातें करता रहता है. यह एक तरह की मेंटल प्रॉब्लम होती है. अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है. आइए जानते हैं आखिर सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) क्या है, यह कैसे होता है और इसका इलाज क्या है.
सिजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित मरीज बिना कुछ सोचे-समझे ही बोलने लगता है. वह हर बात को लेकर कंफ्यूज रहता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, हमारे दिमाग में डोपामाइन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो दिमाग और शरीर में तालमेल बैठाता है.
जब किसी कारण दिमाग में डोपामाइन केमिकल जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तब सिजोफ्रेनिया होता है. इस बीमारी के मुख्य रूप से दो कारण हैं. पहला-जेनेटिक और दूसरा घर या आसपास का माहौल. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सिजोफ्रेनिया के न्यूरोलॉजिकल कारण भी हो सकते हैं.
WHO के मुताबिक, दुनिया में करीब 20 लाख लोग सिजोफ्रेनिया की चपेट में हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी के बिहैवियर में बदलाव आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को पास जाना चाहिए. इससे हालात संभल सकता है.
सिजोफ्रेनिया के मरीजों को ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं, जो होती ही नहीं हैं. उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ कोई साजिश कर रहा है. वह डॉक्ट के पास जाने से बचता है, उसे लगता है कि डॉक्टर जहर का इंजेक्शन देकर उसे मार देना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में आत्महत्या का ख्याल भी आता है. उसके अंदर शक बना रहता है. वह किसी काम पर फोकस नहीं कर पाता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर की स्टडी में पाया गया कि विटामिन बी वाले सप्लीमेंट्स सिजोफ्रेनिया में फायदेमंद हो सकते हैं. विटामिन B6, B8, B12 सप्लीमेंट्स सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं. इस बीमारी का इलाज दवाईयों, साइकोलॉजिकल सपोर्ट थेरेपी और काउंसलिंग से भी हो सकती है.
डॉक्टर्स के अनुसार, सबसे पहले मरीज के स्ट्रेस ट्रिगर्स को पहचानना चाहिए और उसे एक्सरसाइज, मेडिटेशन, ब्रीडिंग एक्सरसाइज, योगा, बैलेंस डाइट के लिए मोटिवेट करना चाहिए. ऐसे मरीजों से प्यार से व्यवहार करना चाहिए, जो उसे काफी मदद कर सकती है. उसे उसके पसंदीदा काम करवाने चाहिए.
Tags: Schizophrenia Health mental health
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