हिंदी न्यूज़लाइफस्टाइलहेल्थएक मौत और वेंटिलेटर पर सांसें गिनते लोग, क्यों इतना खतरनाक है गुलेन बैरी सिंड्रोम?
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गुलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत हो गई है. आइए जानें इस बीमारी के लक्षण और कारण.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Swati Raj Laxmi | Updated at : 27 Jan 2025 06:02 PM (IST)
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गुलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत हो गई है. अधिकारियों ने बताया कि मृतक की मौत उसके पैतृक सोलापुर में हुई थी, वह पुणे आया था, जहां उसके शरीर पर बीमारी के लक्षण दिखाई दिए. राज्य के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि रविवार को जीबीएस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 101 हो गई, जिसमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं. इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. सोलापुर में एक संदिग्ध मौत की सूचना मिली है.
गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है?
यह एक दुर्लभ स्थिति है जो मांसपेशियों में अचानक सुन्नता और कमजोरी दोनों का कारण बनती है, जिसमें अंगों में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि शामिल हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आम तौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि ये मरीजों की इम्युनिटी को कमजोर करते हैं.
डॉक्टरों के अनुसार, जबकि जीबीएस बाल चिकित्सा और युवा आयु वर्ग दोनों में प्रचलित है. यह महामारी या महामारी का कारण नहीं बनेगा. और ज्यादातर इलाज के साथ पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं.
GBS कितनी खतरनाक बीमारी?
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (NINDS) के अनुसार, गुलेन बैरी सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिजीज है. इसमें पेरीफेरल नर्व्स डैमेज हो जाती है और इसमें सूजन आ जाती है. NINDS के मुताबिक, जीबीएस के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग, कार्डियक अरेस्ट और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. दुनिया में हर साल इससे पीड़ित करीब 7.5% मरीजों की मौत हो जाती है. 20% मरीजों को वेंटिलेटर पर जाना पड़ता है और 25% मरीज कम से कम 6 महीने तक चल-फिर नहीं पाते हैं.
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण
धड़कन बढ़ना
चेहरे पर सूजन
सांस लेने में तकलीफ
चलने-फिरने में परेशानी
आंख के आगे धुंधलापन
गर्दन घुमाने में समस्या
चुभन के साथ शरीर में दर्द
हाथ-पैर में कमजोरी और कंपकंपी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज
1. प्लाज्मा एक्सचेंज- यह एक प्रक्रिया है जिसमें ब्लड से इम्यून सिस्टम के कोशिकाओं को हटाया जाता है और फ्रेश प्लाज्मा से बदला जाता है.
2. इम्यूनोग्लोबुलिन- यह एक तरह का प्रोटीन है, जो इम्यून सिस्टम को दबाने में मदद करता है.
3. कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स- यह एक दवा है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक करने में काम आती है.
4. फिजियोथेरेपी. इसमें मांसपेशियों और जॉइंट की ताकत को बढ़ाने की कोशिश कीजाती है.
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5. वोकेशनल थेरेपी. इस इलाज के तरीके से रोजमर्रा की एक्टिविटीज में मदद की जाती है.
6. पेन मैनेजमेंट- इससे दर्द को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
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Published at : 27 Jan 2025 05:38 PM (IST)
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