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एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर भारत में सरकार के लिए कितनी बड़ी चुनौती?

1 वर्ष पहले 18

भारत में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (शादी के बाद संबंध) एक बार फिर चर्चा में है. दरअसल, हाल ही में केंद्र सरकार से एक संसदीय कमेटी ने सिफारिश करते हुए कहा, 'शादीशुदा आदमी या औरत अगर किसी दूसरे से शारीरिक संबंध बनाते हैं तो वो अपराध के दायरे में आना चाहिए क्योंकि शादी एक बहुत ही पवित्र परंपरा है और इसे बचाया जाना चाहिए.'

खास बात ये है कि ये वहीं संसदीय कमिटी है जिसे सरकार ने आईपीसी विधेयक में बदलावों को लेकर सुझाव देने के लिए बनाया था. 

अब इस सुझाव के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर एडल्ट्री यानी शादीशुदा महिला का गैर मर्दों के साथ संबंध को अपराध की श्रेणी में शामिल करने पर विचार कर रही है और आने वाले समय में इसे लेकर बिल भी पेश किया जा सकता है.

ऐसे में सवाल उठता है कि कमिटी की तरफ से इस तरह के सुझाव किस बुनियाद पर दिए जा रहे हैं और सरकार का इसपर विचार करने का फैसला कितना सही होगा.

पहले जानते हैं कि क्या होता है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर

यह टर्म उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो शादीशुदा तो होते हैं लेकिन एक रिश्ते में रहते हुए अपने पार्टनर के अलावा दूसरों के साथ भी संबंध रखते हैं. हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का मतलब केवल शारीरिक संबंध बनाना ही नहीं है.

कोई भी व्यक्ति एक शादीशुदा रिश्ते में रहते हुए अपने पार्टनर के अलावा किसी और के साथ इमोशनल रिश्ता या अफेयर भी रखता है तो उसे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में ही गिना जाता है.

वर्तमान में भारत में एडल्ट्री को लेकर क्या है प्रावधान?

साल 2018 से पहले भारत में भी एडल्ट्री या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को अपराध के तौर पर देखा जाता था. आईपीसी के धारा 497 के तहत शादी में रहते हुए गैर स्त्री से संबंध बनाने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान था.

हालांकि इस कानून की खास बात ये थी कि महिला के खिलाफ न तो कोई केस दर्ज किया जाता था और न ही उसे किसी तरह की कोई सजा मिलती थी. आईपीसी के धारा 497 के तहत पति, पत्नी से संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ केस दर्ज करा सकता था, लेकिन वह पत्नी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करा पाता था.
 
कब और क्यों किया गया इस कानून को रद्द

साल 2018 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस सेक्शन को असंवैधानिक करार दिया और इसे हटाने का फैसला सुनाया. इसके बाद से अब तक भारत में एडल्ट्री यानी शादीशुदा महिला के साथ संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं है. 

साल 2018 में ही तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एडल्ट्री कानून को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था, “एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है और इसे जुर्म होना भी नहीं चाहिए.” इस फैसले को जोसेफ शाइनी की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया था.

जस्टिस मिश्रा ने आईपीसी की धारा 497 को मनमाना और अप्रासंगिक घोषित करते हुए अपने बयान में कहा कि “अब यह कहने का समय आ चुका है कि शादी में पति, पत्नी का मालिक नहीं होता है.

स्त्री या पुरुष में से किसी भी एक की दूसरे पर क़ानूनी सम्प्रभुता सिरे से ग़लत है.” संविधान पीठ ने अपने बयान में ये भी जोड़ा कि व्यभिचार आज भी तलाक का एक मजबूत आधार है, पर आपराधिक जुर्म नहीं है.

कमेटी का नया सुझाव कितना सही 

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं, 'भारत में ये जो आपराधिक कानून है अंग्रेजों के समय के औपनिवेशिक कानून है और उनको सरल और भारतीय गणतंत्र के अनुसार बनाए जाने की कई सालों से बात चल रही है. उसी लिहाज से तीन कानूनों में बदलाव की बात हो रही है और ये संसदीय समिति के जो सुझाव है वर्तमान में केवल सुझाव ही है. अब इनको आगे चलकर मंजूरी मिलेगी तभी उस आधार पर निर्धारित होगा कि इन कानूनों में कैसे बदलाव किए जाए.

कमेटी के सुझाव को अमल में करना कितना सही फैसला 

वकील अविनाश मिश्र ने एबीपी से बातचीत में कहा था कि केंद्र का कमेटी के सुझाव पर विचार करना कितना सही है यह तो नहीं कह सकते लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में एक्स्ट्रा मैरिटल को अपराध से हटाने का फैसला सुनाते हुए कहा था कि धारा 497 जेंडर न्यूट्रल नहीं है लेकिन अब जो नए प्रस्तावित कानून है वो महिला और पुरुषों दोनों पर लागू होंगे तो ये उस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप है.

वहीं पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि मुझे लगता है कि एक्स्ट्रा मैरिटल को अपराध की श्रेणी में लाना चाहिए क्योंकि ऐसा न करना शादी के सिस्टम को कहीं न कहीं कमजोर बनाता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में टेक्नोलॉजी ने ऐसे ही दो लोगों के बीच कम्यूनिकेशन गैप ला दिया है. पति पत्नी आपस में बात करने से सरल ऑनलाइन लोगों से बात करना मानने लगे हैं.

क्या अरेंज मैरिज बन रहा है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की वजह 

बीबीसी की एक रिपोर्ट में साल 2018 के सर्वे का हवाला देते हुए बताया गया कि इस सर्वे के अनुसार एक लाख 60 हजार से ज्यादा भारतीय परिवारों में 93 फीसदी लोगों ने बताया कि उनकी शादी अरेंज मैरिज हुई है. केवल तीन प्रतिशत ही लोग थे जिन्होंने बताया कि उनकी शादी प्रेम विवाह है. जबकि सिर्फ दो प्रतिशत लोगों ने अपनी शादी को लव कम अरेंज मैरिज बताया. इससे ये तो जाहिर है कि भारत में ज्यादातर लोग अपनी नहीं बल्कि अपने परिवार की मर्जी से शादी कर रहे हैं.

अब सवाल उठता है कि क्या अरेंज मैरिज भी एक्स्ट्रा मैरिटल की एक वजह बन रहा है. इस सवाल के जवाब में वकील अविनाश मिश्र कहते हैं कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है. ज्यादातर रिश्ते बोरियत के कारण खराब हो रहे हैं.

डेटिंग एप ग्लीडन का सर्वे भी यही कहता है कि. इस ऐप द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार भारतीय महिलाओं की शादी में बेवफाई की 77 प्रतिशत वजह नीरसता है. यानी ज्यादातर महिलाएं बोरियत, नीरसता के कारण किसी और से बात करना शुरू करती है. हालांकि अरेंज मैरिज का भी इसमें छोड़ा सा रोल जरूर है. दरअसल भारत में ज्यादातर शादियां दो लोगों से ज्यादा परिवारों को ध्यान में रखकर की जाती हैं. 

पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि किसी भी रिश्ते में शादी में बोर हो जाने का सबसे बड़ा कारण दो पार्टनर के बीच कम्युनिकेशन का न होना है. महिलाएं अपने पति से इमोशनल इंटिमेसी चाहती हैं. जबकि पुरुषों को ज्यादातर फिजिकल इंटिमेंसी चाहिए होती है. ऐसे में एक रिश्ते में कई बार ऐसा हो जाता है कि पति पत्नी एक दूसरे से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं और न ही प्यार, अफेक्शन, तारीफ जाहिर करते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी ने बाहरी लोगों से बातचीत करना इतना आसान कर दिया है कि लोग आसानी से अपने दिल की बात किसी और से कर पाते हैं.

किन देशों में अपराध नहीं है एडल्ट्री?

भारत के पड़ोसी देश चीन में एडल्ट्री क्राइम नहीं है, लेकिन इसे तलाक का एक कारण बताया जा सकता है. यानी अगर कोई महिला शादी के बाद दूसरे मर्द से संबंध रखती है तो पति इस आधार पर तलाक ले सकता है. चीन के अलावा साउथ कोरिया ने भी कुछ साल पहले ही एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. यहां पहले इसके लिए तीन साल तक की जेल का प्रावधान था. ऑस्ट्रेलिया और बाकी तमाम यूरोपियन देशों में भी शादी के बाहर संबंध रखना गैरकानूनी नहीं है. 

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