हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियापारसी धर्म से क्यों नहीं हुआ रतन टाटा का अंतिम संस्कार, जानें इसके पीछे की बड़ी वजह
Ratan Tata: प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार शाम मध्य मुंबई स्थित एक शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. इस दौरान मुंबई पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Updated at : 11 Oct 2024 08:23 AM (IST)
रतन टाटा का 85 की आयु में बुधवार को निधन हो गया था
Source : twitter
Ratan Tata: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा भावभीनी विदाई दी गई. हजारों आम नागरिकों से लेकर दिग्गजों ने उनकी अंतिम यात्रा से पहले उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. रतन टाटा का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार (10 अक्टूबर) शाम मध्य मुंबई स्थित एक शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया.
मुंबई पुलिस ने उन्हें श्रद्धांजलि और गार्ड ऑफ ऑनर दिया. पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा (86) का बुधवार रात शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया था. शवदाह गृह में मौजूद एक धर्म गुरु ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया.
पारसी धर्म में ऐसे होता है अंतिम संस्कार
रतन टाटा पारसी धर्म से थे. पारसी धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को दखमा या टावर ऑफ साइलेंस बोलते हैं. इसमें मौत के बाद शव को आसमान के नीचे रखते हैं. इसके लिए टावर ऑफ साइलेंस में पार्थिव शरीर को ऐसी जगह पर रखा जाता है, जहां पर ऊपर आसमान हो और बहुत सारे गिद्ध हो. ये गिद्ध ही उस पार्थिव शरीर के मांस को खा लेते हैं. इसके बाद ही किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार पूरा होता है.
जानें क्यों नही हुआ पारसी धर्म की परंपरा से अंतिम संस्कार
मुंबई में 2018 में पारसी धर्म से कुल 720 लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान 647 लोगों का अंतिम संस्कार दखमा प्रक्रिया से हुआ था. वहीं, रतन टाटा का अंतिम संस्कार अग्निदाह से हुआ है. ऐसा हिंदू धर्म में होता है. इससे पहले रतन टाटा के पार्थिव शरीर को प्रार्थना कक्षा में रखा गया था. फिर पारसी धर्म के अनुसार उनके पार्थिव शरीर पर ''गेह-सारनू'' पढ़ा गया था. अन्य सभी प्रक्रियाओं में पारसी धर्म का पालन हुआ था. लेकिन दखमा की जगह इलेक्ट्रॉनिक तरीके से उनके पार्थिव शरीर का अग्निदाह से अंतिम संस्कार हुआ. इसके बाद कई लोग ये सवाल कर रहे हैं कि उनका अंतिम संस्कार पारसी धर्म की परंपरा के अनुसार क्यों नही हुआ? इसकी वजह ये है कि हाल में ही गिद्धों की संख्या कम हुई है, तब से पारसी धर्म में तीन तरह से अंतिम संस्कार होता है.
पहला: पारसी धर्म में अंतिम संस्कार को दखमा कहा जाता है. इसमें पार्थिव शरीर का मांस गिद्ध खा लेते हैं.
दूसरा: शवों को दफनाकर भी अंतिम संस्कार किया जाता है. टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन JRD टाटा का अंतिम संस्कार भी इसी तरह से हुआ था.
तीसरा: दाह संस्कार करके अंतिम संस्कार होता है. रतन टाटा का अंतिम संस्कार इसी तरह से हुआ है.
Published at : 11 Oct 2024 08:23 AM (IST)
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