तनाव शुक्राणुओं के लिए अच्छा है. एक नए रिसर्च के मुताबिक स्ट्रेस के कारण शुक्राणु में गतिशीलता आती है.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Swati Raj Laxmi | Updated at : 13 Sep 2024 02:01 PM (IST)
तनाव शुक्राणु के लिए अच्छा है
तनाव शुक्राणुओं के लिए अच्छा होता है. यह बात जानकर एक पल के लिए किसी को भी हैरानी हो सकती है कि तनाव भी किसी चीज के लिए अच्छा हो सकता है? दरअसल, एक नए रिसर्च के मुताबिक स्ट्रेस के कारण शुक्राणु में गतिशीलता आती है. अंडे को निषेचित करने के लिए महिला प्रजनन प्रणाली के माध्यम से आगे बढ़ने की क्षमता को प्रभावित करता है. तनाव का हमारे प्रजनन स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डालता है. लंबे समय तक तनाव में रहने से रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर भी असर डालता है.
तनाव से शुक्राणु की क्वालिटी बेहतर होती है
हालांकि, एक नए रिसर्च से पता चलता है कि तनावपूर्ण घटना के बाद शुक्राणुओं की गति बेहतर होती है न कि घटना के दौरान. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो एंशुट्ज़ मेडिकल कैंपस का नया अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि तनाव प्रजनन को कैसे प्रभावित करता है और भ्रूण के विकास के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. पिछले 50 सालों में शुक्राणु की गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता में गिरावट आई है. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण हमारे आसपास का वातावरण और प्रदूषण है. लेकिन शोधकर्ता अभी भी पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि ये बदलाव शुक्राणुओं को कैसे प्रभावित करते हैं.
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नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चलता है कि तनाव शुक्राणु की गतिशीलता या अंडे को निषेचित करने के लिए महिला प्रजनन प्रणाली के माध्यम से आगे बढ़ने की इसकी क्षमता को प्रभावित करता है. शुक्राणु विकास में सहायता करने वाले एक्स्ट्रासेलुलर वेसिकल्स (ईवी) नामक छोटे कणों में परिवर्तन तनाव के बीत जाने के बाद देखा गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि ये परिवर्तन तनाव के बीत जाने के बाद हुए, तनाव के अनुभव के दौरान नहीं.
स्ट्रेस का शुक्राणु का होता है ऐसा असर
हमारे शोध से पता चलता है कि तनाव के बाद शुक्राणु की गतिशीलता में काफी सुधार होता है. जो कोविड महामारी के दौरान तनावपूर्ण अवधि के बाद जन्म दर को बढ़ाने में मदद कर सकता है. अध्ययन के प्रमुख लेखक ट्रेसी बेल ने बताया. यह प्रभाव मानव और पशु दोनों अध्ययनों में देखा गया था, जो प्रजातियों में व्यापक संबंध का सुझाव देता है. अध्ययन के पहले लेखक डॉ निकोल मून ने इस प्रक्रिया की तुलना थोड़े अतिरिक्त ईंधन के साथ अधिक कुशलता से चलने वाली कार से की.
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उन्होंने कहा कि तनाव से प्रेरित समायोजन शुक्राणुओं को ऊर्जा उत्पादन और गति में सुधार करने में मदद करते हैं. कल्पना करें कि आपके पास एक कार है जो खड़ी पहाड़ी पर चढ़ने के लिए संघर्ष कर रही है. जब इंजन पर दबाव पड़ता है, तो कार कम कुशल हो जाती है. हालांकि, थोड़ा और गैस के साथ, आप एक चिकनी ड्राइव के लिए समग्र प्रदर्शन को बढ़ा सकते हैं. जिस तरह आपकी कार तनाव में अधिक कुशल हो जाती है, ठीक उसी तरह सही समायोजन के साथ, तनाव-प्रेरित कारक मौजूद होने पर कोशिकाएं अपने ऊर्जा उत्पादन और गति में सुधार करती हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Published at : 13 Sep 2024 01:59 PM (IST)
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