हरतालिका व्रत कथा शादी-शुदा महिलाएं घर की सुख-शांति की कामना के साथ सुहाग की सलामती के लिए करती हैं. ऐसे में इस व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी यह दी गई है.
By : अंशुल पांडेय | Updated at : 06 Sep 2024 12:52 PM (IST)
हरितालिका तीज 2024
Source : abplive
Haritalika Teej 2024: कई लोग इसे हड़तालिका/हरतालिका व्रत भी बोलते हैं अपनी–अपनी भाषा में लेकिन शास्त्रों में इस पर्व को हरितालिका अथवा हर–काली व्रत बोलते हैं. माता पार्वती के व्रत में भाषा से अधिक भाव की प्रधानता होती है, इसलिए इस पर्व को निश्चल भाव से मनाएं. चलिए जानते हैं शास्त्र क्या कहते हैं इस पर्व के बारे में.
नारद पुराण पूर्व भाग अध्याय क्रमांक 112 अनुसार, भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को सौभाग्यवती स्त्री विधि–पूर्वक पाद्य-अर्घ्य आदि के द्वारा भक्ति भाव से पूजा करती हुई 'हरतालिका व्रत' का पालन करना चहिए. सोने, चांदी, तांबे, बांस अथवा मिट्टी के पात्र में दक्षिणासहित पकवान रखकर फल और वस्त्रके साथ उसे दान करे. इस प्रकार व्रत का पालन करनेवाली नारी मनोरम भोगों का उपभोग करके इस व्रत के प्रभाव से गौरी देवी की सहचरी होती हैं.
भविष्य पुराण उत्तर पर्व अध्याय क्रमांक 20 अनुसार, इस दिवस भगवती गौरी उत्पन्न हुई थी और फिर शिव जी के वामंग में निवास किया. इसी दिवस से गौरी जी हरकाली नाम से प्रसिद्ध हुईं (‘हर’ अथवा महादेव और ’काली’ माता का एक स्वरुप हैं).
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सब प्रकार के नये धान्य एकत्रकर उनपर अंकुरित हरी घास से निर्मित भगवती हरकाली की मूर्ति स्थापित करे और गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, मोदक आदि नैवेद्य तथा भाँति-भाँति के उपचारों से देवी का पूजन करे. रात्रि में गीत-नृत्य आदि उत्सवकर जागरण करे और देवी हरकालीको इस मन्त्र से प्रणाम करे-
हरकर्मसमुत्पन्ने हरकाये हरप्रिये. मां त्राहीशस्य मूर्तिस्थे प्रणतोऽस्मि नमो नमः ॥
(भविष्य पुराण उत्तरपर्व 20.20)
अर्थ–"भगवान शंकर के कृत्य से उत्पन्न हे शंकरप्रिये ! आप भगवान शंकर के शरीर में निवास करनेवाली हैं, भगवान् शंकर की मूर्ति में स्थित रहनेवाली हैं, मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा करें. आपको बार-बार प्रणाम है."
इस प्रकार देवी का पूजन कर प्रातःकाल सुवासिनी स्त्रियाँ बड़े उत्सव से गीत-नृत्यादि करते हुए प्रतिमा को पवित्र जलाशयके समीप ले जायें और इस मन्त्रको पढ़ते हुए विसर्जित करें
"अर्चितासि मया भक्त्या गच्छ देवि सुरालयम् . हरकाले शिवे गौरि पुनरागमनाय च ॥"
(भविष्य पुराण उत्तरपर्व 2022) अर्थ– "हे हरकाली देवि! मैंने भक्तिपूर्वक आप की पूजा की है, हे गौरि! आप पुनः आगमन के लिये इस समय देवलोक को प्रस्थान करें." इस विधि से प्रतिवर्ष, जो कोई करता है, वह आरोग्य, दीर्घायुष्य, सौभाग्य, धन, बल, ऐश्वर्य आदि प्राप्त करता हैं.
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Published at : 06 Sep 2024 12:52 PM (IST)
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